C लैंग्वेज से परिचय (Introduction to C)
C लैंग्वेज का विकास होने से पहले जितने भी प्रोग्राम बनाये जाते
थे वो सभी असेंबली लैंग्वेज में बनाये जाते थे। असेंबली लैंग्वेज में बने प्रोग्राम
की स्पीड बहुत जयादा होती थी, पर इनमे एक कमी भी थी। कमी यह थी के असेंबली लैंग्वेज
में बने प्रोग्राम सिर्फ उसी कंप्यूटर पर चलते थे जिस पर उसको बनाया जाता था। इसलिए
एक ऐसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की ज़रुरत थी जो पोर्टेबल हो और किसी भी कंप्यूटर पर एक्सेक्युट
हो सके। इस कमी को दूर करने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में 1960 में एक प्रोग्रामिंग
लैंग्वेज का विकास किया गया। जिसका नाम BCPL(Basic Combined Programming Language)
रखा गया। सन 1970 में केन थॉम्पसन ने इसमें कुछ परिवर्तन किये और इसका नाम B प्रोग्रामिंग
लैंग्वेज रखा गया।
B लैंग्वेज के बाद फिर C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का विकास किया गया।
C प्रोग्रामिंग का विकास अमेरिका में 1972 में AT & T बेल प्रयोगशाला में डेनिस
रिची दुवारा किया गया।
आज आप जितनी भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज देखते है। वो सभी C पर ही आधारित है। अगर आज आप C लैंग्वेज अच्छी तरह से सीख लेते हो, तो आप को दुनिया की कोई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सिखने के लिए आपको कोई भी मुश्किल नही आएगी और आप वो लैंग्वेज आसानी से सीख सकेंगे।
C एक बहुत ही पावरफुल लैंग्वेज है। जिससे हम एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर
दोनों तरह के सॉफ्टवेयर बना सकते है। C एक ऐसी प्रोग्रामिंग भाषा है, जिससे कंप्यूटर
के हार्डवेयर के साथ भी काम किया जा सकता है। C के दुवारा मेमोरी मैनेजमेंट किया जा
सकता है। यदि हम चाहे तो हम C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में वायरस भी बना सकते है, जो
कंप्यूटर की मेमोरी को डैमेज कर सकता है।
आपको को यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि Windows , UNIX, Linux ऑपरेटिंग सिस्टम और Oracle Database, Mobile Applications and
Platforms, Satellite Connected Software,
सेट टॉप बॉक्स के सॉफ्टवेयर सभी C में ही डेवेलोप किये गए है।
No comments:
Post a Comment